भट्टा परसौल याद होगा न ?




वर्ष 2011 में भट्टा परसौल में किसान और प्रशासन में जमकर युद्ध हुआ था। मायावती की सरकार थी। दो पुलिस वाले और 3 किसानों की मौत हुई थी। उस समय के डीएम #दीपक अग्रवाल के भी पैर में गोली लगी थी। और सोनभद्र के उम्भा में हुये बवाल में डीएम #अंकित अग्रवाल पूरी तरह से फेल हुए हैं। 

उस दौरान केंद्र में यूपीए की सरकार थी तब राहुल गांधी ने भट्टा परसौल का दौरा किया था और इस समय केंद्र में एनडीए की सरकार है कितने जिम्मेदार मंत्री और सन्तरी गये। सत्ता का घमंड ज्यादा अच्छा नहीं होता। एक पिद्दी सा गांव का प्रधान इतनी बड़ी साजिश करके निकल गया और आप सुशासन की दुहाई दे रहे हैं। पूरे #सोनभद्र के पुलिस प्रशासन और डीएम के खिलाफ एफआईआर दर्ज होना चाहिए। फिर लौटते है राजनीति की तरफ। प्रियंका गांधी को रोकना गलत है।



 जब कांग्रेस का जनाधार ही नहीं है तो जाने देते। अब प्रियंका गांधी को राहुल समझने की कोशिश गलत होगी। बाबा जी ये जो सत्त्ता मिली है वो आपको नहीँ मिली है। हमने चुनाव कवर किया था। इस दौरान #अखिलेश के खिलाफ लोग थे इसलिए परिवर्तन हुआ था। लेकिन बहुत दुख के साथ कह रहा हूँ आप में बाबा परिवर्तन आया है। इसका नुकसान उठाना पड़ेगा। आखिर कौन चला रहा है यूपी का प्रशासन। 

कौन से लोग सलाहकार है। आप के प्रदेश में इतनी बडी घटना घट गई और आप अभी भी पांचवे तल पर हैं। आप का दौरा होना चाहिए था। आपके अधिकारी इतने ही काबिल होते तो यह घटना घटती ही नहीं। #प्रियंका गांधी के जज्बे को सलाम। बाबा ध्यान रहे कि 2007, 2012 में भी जनता ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनवाई थी। आज उनका जनाधार खत्म हो गया है।

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