गजब का समाज है हमारा ? आखिर कब बदलेगी सोच




मिश्रा विधायक की बेटी साक्षी ने जो किया वो उसका अपना निजी मामला है। ऐसी घटनाएं प्रतिदिन या हर घण्टे हो रही है। सभी राज्यों में घट रही है। मैंने खूब ऐसी घटनाओं को देखा और सुना है। कम से कम 8 राज्यों में मैं पत्रकार के रूप में काम किया हूँ उसका तो मैं खुद गवाह हूँ। भाई, राजेश मिश्रा विधायक हैं। उनकी कोई राजनीतिक दुश्मनी या षणयंत्र हो सकता है। मगर बिटियां ने जो किया है उससे सभी बेटियों के बारे में ऐसा सोचना और अनाप शनाप बकना बहुत अनर्थ है और दुखद है।

कल से मैं खुद देख रहा हूँ, कुछ लोग लिख रहे हैं बेटी का मजबूर पिता का हाल, ऐसी बेटी न दे भगवान, तभी बेटियां भ्रूण में ही मार दी जाती है। मतलब, पुरुष वादी सोच हावी हो गया है। एक एंकर ने और ही कमजोर कर दिया बेटियों को। उन्होंने उसे स्टूडियो में बैठाकर रुला भी दिया और एक मजबूर बिटियां भी बना दिया।

वैसे भी समाज में बेटियों के कई दुश्मन हैं। फिर एक घटना को लेकर लोग बेटियों को दोषी बता रहे हैं। और यह हाल है पढेलिखे और अपने आप को समाज का सबसे बेहतरीन व्यक्ति कहने वालों का।

बेटियां मान होती हैं। वो गर्व होती है। किसी एक मुद्दे को लेकर इतना हौवा नहीं बनाना चाहिए। मेरी कई ऐसी लड़की दोस्त हैं जो स्वजातीय विवाह नहीं की हैं मगर खुश हैं। बेटियों कक आगे बढ़ाइए। उन्हें शिक्षित करिये बस साक्षर नहीं। मंत्री नेता और पैसावाला बाद में बनिये पहले परिवार बनिये। परिजन बनिये। मां और पिता बनिये। भाइयों सोच बदलिए और समाज को आगे बढ़ने दीजिये। 

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