कर्नाटक में नाटक के ये हैं असली मदारी



भारत के राज्य कर्नाटक में जो राजनीतिक नाटक चल रहा है उसके कई कारण हैं. अगर बड़ा बात वहां के कई नेताओं को लेकर सामने आ रही है. इस पूरे नाटक में भाजपा नहीं है. बल्कि जनतादल-एस और कांग्रेस के नेता शामिल हैं. जनतादल-एस के नेता आक्रोशित हैं. उन्हें लोकसभा चुनाव में बेहतर करने को नहीं मिला. जबकि उनका नेता ही मुख्यमंत्री हैं.

कर्नाटक में कुल लोकसभा की 28 सीटें हैं मगर इस बार कांग्रेस और जनतादल एस को मात्र २ सीटों पर जीत मिली है. वहीँ भाजपा ने कुल 25 सीटों पर जीत दर्ज कर लिया है. जबकि एक निर्दलीय प्रत्याशी को जीत मिल गई है. कांग्रेस और जनतादल एस के कई दिग्गज नेता चुनाव हार गए हैं.



भारत के पूर्व पीएम और जनता दल के दिग्गज नेता एचडी देवगौड़ा भी इस बार लोकसभा का चुनाव हार गये. चर्चा हैं की उन्हें हराने के लिए कांग्रेस के कई नेता सक्रिय थे. चुकी कांग्रेस के कई नेता कर्नाटक में गठबंधन की सरकार नहीं चाह रहे थे. उन्हें फिर से चुनाव मैदान में जाने की इच्छा थी. लेकिन कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गाँधी ने उस समय यह बात नहीं सुनी. जब चुनाव के बाद परिणाम बेहतर नहीं आये तो यह बात सामने आने लगी. कांग्रेस के कुछ दिग्गज नेताओं का टिकेट भी कट गया था. जिसे लेकर उनमें नाराजगी भी थी.



अब राहुल गाँधी जब अध्यक्ष नहीं है तो कांग्रेस के नेता चाह रहे ही की मल्लिकार्जुन खड्गे को सीएम बनाया जाय और मामला शांत हो. लेकिन इस बात की भनक लगते ही  सिद्धारमैयाके कान खड़े हो गए. और उन्होंने असली मदारी वाली भूमिका अपना लिया. और पूरे संकट को सम्भालने में लग गए हैं. 

वहीँ दूसरी तरफ जनता दल एस में फूट है. एचडी स्वामी के बड़े भाई जो विधायक हैं एचडी रेवन्ना उन्होंने ने भी इसमें गेम शुरू कर दिया है. इन्हें भी उप मुख्यमंत्री की कुर्सी दिखने लगी है. अब इधर बसपा सुप्रिमो मायावती की भी कांग्रेस से कड़वाहट है. उसे भी जोडकर देखा जा रहा है की. अब कांग्रेस को बसपा का साथ नहीं मिलने वाला है. 

कर्नाटक में कुल विधान सभा की 225 विधान सभा सीटें हैं. जिनमें से 104 भाजपा, ७८ कांग्रेस और 37 सीटें जनता दल एस के पास हैं. एक सीट पर बसपा को जीत मिली थी और तीन पर निर्दलीय जीते थे. वहीँ 75 सीटें विधान परिषद् की भी हैं. 


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