बिहार में जिस अनंत सिंह के सामने नीतीश कुमार हाथ जोड़ते थे वहीँ अब दुश्मन बन गए हैं
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पटना. बिहार में ऐसा क्या हो गया है कि अनन्त सिंह और सीएम नितीश कुमार में ठन गई है. अब दोनों आमने सामने हैं. यह अब अदावत सी लगने और दिखने लगी है. देखिये पूरा वीडियो.
मुम्बई। महाराष्ट्र में विधान सभा के चुनाव होने वाले हैं। और सत्ता किस करवट बैठेगी यह अभी पता नहीं चल रहा है। लोकसभा चुनाव के नतीजों को देखा जाय तो देवेंद्र फड़नवीस सुरक्षित हैं। लेकिन जब इतिहास में जाया जाए तो नहीं बैठ रहा है मामला। महाराष्ट्र से पहले ब्राह्मण मुख्यमंत्री मनोहर जोशी थे और दुसरे देवेंद्र। उनकी स्थिति देखी जा रही है। दुबारा वापसी नहीं कर पाए। लेकिन देवेंद्र ने सत्ता 5 साल चला ली। इन्हें अटल जी ने मॉडल विधायक कहा था। तब ये पहली बार विधायक बने थे और अब इन्होंने मॉडल स्टेट बनाया या नहीं इसका पता कुछ महीनों में चल जाएगा। आइये चलते हैं अतीत में। महाराष्ट्र में कई मुख्यमंत्री साल और दो साल वाले रहे और कई महीनों वाले। लेकिन एक सीएम ऐसे थे जो 9 दिन रहे। उनका नाम है पीके सावंत। जो गृह मंत्री और कृषि मंत्री भी थे। 1963 में 25 नवंबर को सीएम बने और 4 दिसंबर को हट गए। फिर वापसी नहीं हुई। और ये 9 दिन वाले सीएम बनकर रह गए।
लखनऊ. जल्द ही एक अनुभव हुआ है। जिसे मैं बताना चाहूंगा। क्योंकि मेरे ही जिले की बात है। बसपा और भाजपा के सांसद में कितना अंतर है। जौनपुर जिले में दो लोकसभा सीट है। एक भाजपा के कब्जे में है और दूसरी बसपा+सपा के पास है। जौनपुर लोकसभा सीट पर कई बार से कोई दुबारा लगातार चुनाव नहीं जीत पा रहा है। इस बार भी चेहरा बदला था। लेकिन जीत नए चेहरे को ही मिली। चलिए मुद्दे पर। जौनपुर से जयपुर के लिए ट्रेन की टिकट कंफर्म करवानी थी। किसे बोला जाय ? यह भी असमंजस की बात। लेकिन किसी ने सांसद के लिए सुझाया। मछलीशहर से भाजपा के सांसद हैं बीपी सरोज। उन्हें फ़ोन मिलाया और सन्देश भी भेजा लेकिन कोई रेस्पॉन्स नहीं मिला। बड़ी देर तक इंतजार करने के बाद बसपा सांसद श्याम सिंह यादव को फ़ोन किया। मुझे लगा कि बसपा के सांसद हैं इनकी रेलवे में इस समय उतनी बात न सुनी जा रही हो। लेकिन एक बेल जाते ही उधर से दो मोबाइल नंबर मेरे पास आ गये। एक पर मैंने तुरंत फ़ोन मिलाया औऱ जवाब आया कौन ? मैंने अपने बारे में बताया तो उधर से एक विनम्रभाव से हरिकेश यादव जी ने अपना परिचय दिया। मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ कि बसपा सोशल मी...
लाल बहादुर शास्त्री कांग्रेस के बड़े नेता थे। देश के लोक प्रिय पीएम भी रहे। उनके निधन के बाद बेटों की राजनीति भी कांग्रेस में ही लंबे समय तक चली। मगर सुनील शास्त्री का मोह भंग हुआ और वो भाजपा जॉइन कर लिए। राज्यसभा सदस्य भी रहे। यूपी में 8 साल तक कैबिनेट मिनिस्टर भी रहे। 2014 से भाजपा में राष्ट्रीय नेतृत्व में काम कर रहे हैं। अब नया मामला बलिया से है। पूर्व पीएम चंद्रशेखर जी के बेटे और सपा से राज्य सभा सांसद नीरज शेखर भी अब भाजपा की तरफ बढ़ रहे हैं। क्योंकि उन्होंने सपा से इस्तीफ़ा दे दिया है। उन्होंने राज्य सभा सदस्य पद से भी इस्तीफा दे दिया है। बलिया से 8 बार सांसद रहने वाले पूर्व पीएम चन्द्रशेखर जी ने इतनी जमीन मजबूत की थी कि उनके बेटे नीरज शेखर भी दो बार चुनाव जीत गए। मगर 2014 में इन्हें हार मिली और 2019 में टिकेट ही नहीं मिला। ये सपा से राज्य सभा भेजे गए थे। अब सपा के लिए बलिया में सकंट है। क्योंकि पुराने दिग्गज चौधरी साहब भी अब बसपाई हो चुके हैं। और शुद्ध सपाई अब घर छोड़ रहे हैं।
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